शब्दों पर
हो कर सवार
कहां से कहां
पहुंच गए
बुद्धिमान लोग !
पहुंचे हुए
यह शातिर लोग
अब
खुद मौन रह
लड़ा रहे हैं
परस्पर शब्दों को
उनकी व्यंजनाओं से
संवेदनाओं से !
उन्हें चिन्ता नहीं
शब्दों के घिसने की
उनके अर्थ खोने की
क्यों कि वे जान गए हैं
शब्द ब्रह्म है
अनश्वर है शब्द
इस लिए ब्रह्मास्त्र है
शब्द चल जाएगा तो
हम भी चल जाएंगे !
चले हुए शब्द
लौटते नहीं कभी
बींधते जाते हैं
सदियों को
सदियों तक
बुद्धि का साम्राज्य
फैलता जाता है
पराजित शब्दधारकों
और
शब्दहीन लोगों पर
अनंतकाल तक !
यह शातिर लोग
अब
खुद मौन रह
लड़ा रहे हैं
परस्पर शब्दों को
उनकी व्यंजनाओं से
संवेदनाओं से !
उन्हें चिन्ता नहीं
शब्दों के घिसने की
उनके अर्थ खोने की
क्यों कि वे जान गए हैं
शब्द ब्रह्म है
अनश्वर है शब्द
इस लिए ब्रह्मास्त्र है
शब्द चल जाएगा तो
हम भी चल जाएंगे !
चले हुए शब्द
लौटते नहीं कभी
बींधते जाते हैं
सदियों को
सदियों तक
बुद्धि का साम्राज्य
फैलता जाता है
पराजित शब्दधारकों
और
शब्दहीन लोगों पर
अनंतकाल तक !
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