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कुछ लोग
बुन कर ताना-बाना
कूट रचित तानों का
घड़ते हैं सवाल
निकल पड़ते हैं
पाने उनका जवाब
जो नहीं मिलता उन्हें
वे लौटते हैं
ले कर प्रतिप्रश्न
जिनका होता नहीं
होता ही नहीं
कोइ जवाब
खुद उनके पास ।
वे भूल जाते हैं
जवाब होता है
हमेशा सवालों का
तानों का नहीं
तानें उत्पन करते है
असीम तनाव
जो देते हैं जन्म
उत्तरविहीन सवालों को
ऐसे ही सवालों से
मैं भर गया हूं
आज आकंठ
जो चटखा रहे हैं
आज मेरी कनपटियां !
ले कर प्रतिप्रश्न
जिनका होता नहीं
होता ही नहीं
कोइ जवाब
खुद उनके पास ।
वे भूल जाते हैं
जवाब होता है
हमेशा सवालों का
तानों का नहीं
तानें उत्पन करते है
असीम तनाव
जो देते हैं जन्म
उत्तरविहीन सवालों को
ऐसे ही सवालों से
मैं भर गया हूं
आज आकंठ
जो चटखा रहे हैं
आज मेरी कनपटियां !
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