जनता कितनी भोली है
ग़म गलत करने को
उसके पास
ईद-दिवाली-होली है ।
महंगाई का चीर
बढ़ रहा है असीम
हरण करने वाले हैं मौन
पूछो तो कहते हैं
आप पूछने वाले हैं कौन
महंगाई नहीं घटने वाली है
सड़कों पर जाओ खेलो
आपके पास
ईद-दिवाली-होली है ।
संतान आठवीं होगी तो
अवतार कृष्ण का होगा
दो पर आ कर
जीवन चक्र थम जाता है
इसी लिए तो भाई
कृष्ण नहीं आ पाता है
कंसों ने बांटी
माला डी की गोली है
अभी तुम कष्ट सहो
अभी फैलानी झोली है
देखो तो कितनी प्यारी
ईद-दिवाली-होली है ।
जब कभी होगी
धर्म की हानि
अवतार हो जाएगा
अभी तो धर्म की तूती है
धर्म गुरुओं की देखो
नेता उठाते जूती हैं
जो कहते थे
धर्म अफीम की गोली है
उनके मुख भी होली है
जाओ तुम भी खेलो
ईद-दिवाली -होली है ।
जनता जब तक भोली है
अरमानो की होली है
रंग हो रहे फीके सारे
सीमाओं के भीतर-बाहर
खून की देखो हो ली है
कहां बची है अब
ईद-दिवाली-होली है ।
होली तो हो ली कब की
अब तो हुड़दंग होता है
जनता रोती हक की खातिर
नेता चैन से सोता है
आंख खोल कर देखो
किस दरवाजे पर
ईद-दिवाली-होली है
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