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दर्द को दिल में भर कर देखा है ।
ज़ख्म को दिल मेँ धर कर देखा है ।।
हाथ आ कर छूट ही ना जाए ।
खुशी को बहुत डर कर देखा है ।।
मरने पर दर्द होता है कितना ।
बार बार खुद मर कर देखा है ।।
दर्द को दिल में भर कर देखा है ।
ज़ख्म को दिल मेँ धर कर देखा है ।।
हाथ आ कर छूट ही ना जाए ।
खुशी को बहुत डर कर देखा है ।।
मरने पर दर्द होता है कितना ।
बार बार खुद मर कर देखा है ।।
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