आसमान में
बजे नगाड़े
ढमके ढोल
चमकी बिजली
हुई आतिशबाजी
नवल दूल्हा बन
दौड़ पड़े पिय बादल
चढ़ पवन की घौड़ी
अब टूटेगा
वियोग मरुधरा का
नेह की बूंद
मेह के बहाने
टपकाने आए
बादल मरुधरा पर !
कण-कण मरुधरा का
आज लगा महकने
मन ही मन फूटे बोल
होगा मिलन
मिटेगी दाह चाह
आह !
मेरे आंगन चहकेगी
इस मौसम में
हरियल किलकारी
मेरे आंचल भी आएगा
सुख ममता का भारी !
बजे नगाड़े
ढमके ढोल
चमकी बिजली
हुई आतिशबाजी
नवल दूल्हा बन
दौड़ पड़े पिय बादल
चढ़ पवन की घौड़ी
अब टूटेगा
वियोग मरुधरा का
नेह की बूंद
मेह के बहाने
टपकाने आए
बादल मरुधरा पर !
कण-कण मरुधरा का
आज लगा महकने
मन ही मन फूटे बोल
होगा मिलन
मिटेगी दाह चाह
आह !
मेरे आंगन चहकेगी
इस मौसम में
हरियल किलकारी
मेरे आंचल भी आएगा
सुख ममता का भारी !
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