रविवार, जून 02, 2013

*छाया से मत डरो*

बड़े भोले हो
अपने निकट के
अंधेरों से डरते हो
अंधेर जो पसरा है
केवल अंधेरा नहीं है
यह छाया है
किसी विराट की !

तुम यह तो
अच्छी तरह जानते हो
छाया के पीछे
प्रकाश जरूर होता है
प्रकाश जो न हो तो
छाया भला बनेगी कैसे !

प्रकाश जो आना चाहता है
सतत तुम्हारी ओर
उसके होने का ही
सबब है छाया
इस लिए मेरे मित्र
छाया या अंधेरों से
डरो मत
प्रकाश के स्वागत में
थोड़ा होंसले से उठो
हटाओ वे बाधाएं
जो प्रकाश को
छाया और अंधेरे में
बदलती हैं
फिर तुम तक
उसका आना रोकती हैं !

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