शुक्रवार, जून 21, 2013

मैं कब सोऊंगा

वक्त पर सोया
नींद भी आई
नींद में सपना आया
सपने में जाना पड़ा
बस में हो कर सवार
दूसरे शहर ।

यात्री कंडक्टर से पूछते
बस कहां जाएगी
कंडक्टर का जवाब
दिल्ली सुन कर
मुड़ रहे थे यात्री
बस खाली ही
हो रही थी रवाना
मैं भी कूद गया
बस से नीचे
कंडक्टर चिल्लाया
दिल्ली !
दिल्ली !!
दिल्ली !!!
मैंने कहा नहीं !
मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा !

इसी बीच
मेरी आंख खुल गई
मैं बिस्तर पर हूं
पसीने से भीगा हुआ
नींद नहीं है
सवाल है आंखों में
रात के तीन बजे हैं
मैं कब सोऊंगा चैन से ?

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