गुरुवार, जून 20, 2013

*जब आती है बारिश*

बारिश के लिए
मांगी थी
मां ने मन्नत
बारिश के लिए
बनाए थे मालपूए
बांटे थे
हम बच्चों में
और
हो गई थी
झमाझम बारिश !

मां के हाथों में
देख कर मालपूए
बहक जाते थे
बादल और हम
बिछ जाते थे
मां के सामने !

आज भी
याद आते हैं
मां के मालपूए
जब आती है
झूम कर बारिश
फैल जाती है
समूचे घर में
मालपूओं की महक !

तब हम
बच्चे थे
विश्वास करते थे
आज हम
बड़े हो
आज लगता है
बारिश को तो
इस मौसम में
आना है
मन्नत तो
एक बहाना है !

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