रविवार, जून 02, 2013

सपनों से बाहर रोटियां

माँ को
रोटी बनाती देख
उस ने
रोटी बनाना
बचपन के दिनों
खेल-खेल में ही
सीख लिया था 
उस ने नहीं देखा था
रोटियां बनाने का
कभी कोई सपना
आगे चल कर
रोटियां ही बनानी हैं
शायद उस ने
यह सोच कर भी
नहीं सीखा होगा
यह काम तो
हम ने ही
लाद दिया है
उस पर !

उस के
उन सपनों का
क्या हुआ होगा
जो बाकायदा देखे होंगे
अपने आगे के
दिनों के लिए
जो आज हैं
लाचारी भरे !

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