शुक्रवार, जून 21, 2013

धूप छांव

नीचे धरती ऊपर आसमान तो है ।
मिलती धूप छांव सबको समान तो है ।।
इस पर भी है पहरा किसी किसी घर में ।
देख लो कुदरत का भी अपमान तो है ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें