शुक्रवार, जून 21, 2013

*कविता जरूर लिखना*


उस ने 
जाते जाते कहा था
मेरे लिए जरूर लिखना
एक कविता
जिस में हो प्रीत
गीत हरियाली के ।

सपने मत लिखना
जो न हो सकें पूरे
मेरे वाली कविता में
खुशहाली लिख देना
बिल्कुल सच वाली
जो दिखे दूर से
सभी के चेहरों पर
सूरज सी चमकती !

मेरे घर के सामने
लिख देना चौराहा
जिस पर कभी न लगें
धरना-पोस्टर
खड़ा कर ही देना
चाहे उस पर
बिना जेब वाला
टैफ्रिक का सिपाही !

संसद लिखो तो
लिखना बोलने वाली
बोल कर तोलने वाली
जिस में दिख जाए
मेरा पूरा गांव
उस तक जाती
सड़क जरूर लिखना !

मल्टीनेशनल कम्पनियां
पिज्जा-बर्गर-स्लाइस
चाहे कुछ भी लिख देना
मगर मेरे नत्थू के
तन भर कपड़ा
एक छत
दो जून रोटी
जरूर लिख देना
उसकी हारी-बीमारी टले
इसके लिए
दवा और दवाखान भी
लिख ही देना
उस मजदूरिन जापायत गोमती के लिए
तीन महीने का
प्रसूती अवकाश भी
जरूर जरूर लिख देना !

फोज बैरकों में
बच्चे स्कूल में


युवा खेल में
अफसर ऑफिसों में
सत्य-ईमान मस्तिष्कों मेँ
नेताओं में देश प्रेम
इस बार जरूर लिखना !

अम्मां के लिए
आंख न सही
एक ऐनक जरूर लिखना
बेटों का प्यार भी
लिख ही देना
खींच खांच कर इस बार !

मैं लौटूं तब तक
फसल भी उगाते रहना
फलदार प्रीत की
जिसके बिरवे फैल जाएं
समूची धरा पर
मेरे घर के आगे से !

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