रविवार, जून 02, 2013

याचना में नहीं उठेंगे हाथ

किसी भूखे की 
कर अनदेखी
अपने पेट से अधिक
जुटा रहे हो
जो हाथ आया
आज उसे खा रहे हो
कल जब लोग
अपना हिस्सा मांगेंगे
तब कहां दुबकोगे
तब हाथ
याचना में नहीं उठेंगे
न याचना सुनी जाएगी
सारा हिसाब-किताब
सड़क पर होगा
बही-खाते
खोले नहीं जाएंगे
जलाए जाएंगे
तुम्हारे रक्त में
बह रही
उनके हक़ हलाल की पूंजी
नोच ली जाएगी
तब तुम कहां दुबकोगे !

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