गुरुवार, अप्रैल 24, 2014

मुक्कमल दिवाली

घर-घर जले
खुशहाली का दीया
अमन-चैन हो
गांव-गली
नगर-मोहल्ले
ढाणीं-ढाणीं
सब को मिले
घर-कपड़ा
और
रोटी-पानी !

जात-पात
धर्म-सम्प्रदाय
निज स्वार्थ से
उठ कर ऊपर
मत का अपने
लें काम सभी
अपना सब कुछ
करें देश के नाम सभी
बेदाग चुनें नेता अपना
ताकि ना हो फिर
कांडवती सरकार कोई !

ऐसा अगर हम
कर पाएंगे
तो सचमुच हम
इस बार
एक मुक्कमल दिवाली
गर्व से मनाएंगे
फिर सब जन मिल कर
गीत खुशी के गाएंगे
वरना भाई
इस दिवाली तो क्या
हर दिवाली पछताएंगे !

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