रविवार, अप्रैल 13, 2014

*वज़ूद का गीत*

दिन भर की 
थकान उतारने के लिए
कुछ समय तक

अंधेरे में सो कर
बिस्तर छोड़ कर
उठ जाने से
नहीं हो जाती
सुहानी भोर
भौर के लिए
अपने आकाश में
सूरज का उगना
बहुत जरूरी है !

सोना-जागना तो
जरूरत है तन की
आओ , मन की सुनें
एक सूरज उगाएं
आसमान के ठीक बीच में
सब के ऊपर
ताकि फिर न हो
कभी काली रात
अंधेरा कौने लग
थर्राता रहे
तुम्हारे वज़ूद का
गीत गाता रहे !

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