रविवार, अप्रैल 13, 2014

नपुंसक सांत्वना

वे बेहद संवेदनशील हैं
उन्होंने इसका प्रमाण दिया है
रोने वालों को
अपने हाथों से अभी-अभी
रुमाल बांट कर आए हैं ।

यह अलग बात है कि
रोने वाले अब रो नहीं रहे
सुबक रहे हैं
वे रुमाल बांट कर
अब सिंहासन पर दुबक रहे हैं ।

शायद वे नहीं जानते
रोने वाले आंखों से नहीं
दिल से रोते हैं
दिल के आंसूं रुमाल से नहीं
फ़लवती सांत्वना से ही
पूंछे जाते हैं
उनकी नपुंसक सांत्वना से नहीं !

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