'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, अप्रैल 10, 2014
अबला स्त्री
.
सारा दोष
जमाने की आंखों में था
घूंघट स्त्री को थमाया
माँ स्त्री बनी
वंश अपना चलाया
बहुत कायर था
वक्त का पुरुष
जुल्म खुद ढाए
और
अबला स्त्री को बताया ।
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