शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

*आज क्या लिखूं *

आज क्या लिखूं
बार बार सोचा
सोचना मुझे ही था
इस लिए वही सोचा
जो मुझे सोचना था । 

जो सोचा
वह लिख नहीं पाया
और जो लिखा
वह सोच नहीं पाया
इस लिए फिर सोचा
क्यों सोचा ?

कुछ लोग
बिना सोचे
लिख रहे थे
लोग सोचते नहीं ।

मैंने सोचा तुम्हारा नाम
तुम ने कहा
क्योँ सोचा
उधर उन्होनें कहा
क्यों नहीं सोचा
हमारा नाम !

एक दिन
नत्थू भी उलझ गया
लिखते हो आप
लिख दो हमारा नाम
बी.पी.एल. में
या फिर लिख दो
कोरे भाग्य में
केवल तीन शब्द ;
रोटी-कपड़ा-मकान !

छोड़ दिया हम ने
उस दिन के बाद
सोच कर लिखना
लिख कर सोचना
तब से
मजे में हैं ।

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