शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

[*] प्रीत :कुछ चित्र [*]

1.
झुकी
पलकें तुम्हारी
मुंद गई आंखें
उठी प्रीत
फैल गई !

2.
भाग कर
भीतर गई
लजा कर तुम
बाहर आई प्रीत
बेखोफ हो कर !

3.
मेरा नाम
रेत पर
उकेरा तुम ने
हवा आई
छू कर उसे
मुझ तक
प्रीत का
उठा गुब्बार !

4.
हवा ने
कहा कुछ
सपर्श में
प्रीत के पान
हुए पल्लवित
ठूंठ खिल उठा
हो गया हरा
जंगल महक गया !

5.
न सड़क चली
न तुम
दौड़ा मन वाहन
आया पड़ाव
'प्रीत'

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