रविवार, अप्रैल 13, 2014

तुम कहां हो

कमरे में मैं अकेला
मौन कुछ किताबें
या फिर पसरा है अंधेरा
कीट-पतंगों के लिए नहीं है
कोई गुंजाइश
वज़ह चाहे है ऑलआउट 
दीवार घड़ी की टिक-टिक है
उस से बतियाऊं कैसे
सुनाती है
सुनती नहीं
तुम कहां हो ?

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