रविवार, अप्रैल 13, 2014

*बच्चा बन जाएं*

आओ आज फिर
बच्चा बन जाएं
कुछ तोड़ें
कुछ फोड़ेँ
तोड़ फोड़ कर 
फिर से जोड़ें
जुड़ जाए तो जुड़ जाए
नहीं जुड़े तो मचलें,रोएं !

सरदी की बरखा में
नम हुई मिट्टी को
पैरोँ पर थाप-थाप
एक एक घरोंदा बनाएं
अपने घरोंदें पर इतराएं
साथी का सुन्दर हो तो
तोड़ें और भाग जाएं
अपना टूटे तो रोएं चिल्लाएं
सुबक सुबक नाक पौंछते
अपने घर को जाएं ।

लगी ठंड पर
खाएं डांट अम्मा की
रूठें और कुछ ना खाएं
दादी के हाथों
पीएं दूध सूखे मेवे वाला
सो जाएं सुन कर
फिर झूठी कहानी
इक थे राजा रानी वाली ।



सब कुछ भूल भाल कर
उठें भोर में
लिपट अम्मां से
प्यार जताएं
नहा धो कर
करें नाश्ता
उठा कर बस्ता
निकलें घर सै
छेड़ छाड़ का फिर से
रच डालें इतिहास
टन-टन की घंटी भीतर जाएं
टन-टन की घंटी बाहर आएं
लौटें घर को धूल सने !

दादा दादी लाल कहे
अम्मा बोले राजा बेटा
बहिना छुटकी की गोदी
बड़की दीदी का मिले दुलार
आओ फिर से
बच्चे बन जाएं इकबार !

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