शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

<>आता कब है प्यार<>

प्यार होता नहीं 
आजकल किसी को
किसी से कभी भी
किया जाता है
या फिर आ जाता है प्यार 
किसी को
किसी किसी पर !

स्वतंत्रता दिवस के बाद
गणतंत्र दिवस को ही
आता है प्यार देश पर
सीमाओं पर हो तनाव
भीतर हो आतंक
तब भी थोड़ा थोड़ा
दिखने लगता है
दिखावा भर
देश के लिए प्यार !

नेता वोट ले
देश को छोड़
अपने काम आए
आड़े वक्त
कानून रख ताक पर
खुद जीए
हमें भी जीने दे
यानी
खुद भी खाए
हमे भी खाने दे
तब आता है
नेता पर प्यार !

पिता हों काम पर
हम हों
बेरोजगारी के साथ
बीवी-बच्चों वाले


मां बने गुप्त सहारा
तब आता है
मां पर प्यार !

दिन भर बतियाएं
दफ्तर और दोस्तों में
मादा दोस्त से
देरी से आएं घर
हमें न हो डर
खाएं-पीएं सो जाएं
सवाल न दागे
दूध का गिलास
सरहाने धर सो जाए तो
आता है बीवी पर प्यार !

यह सब तो
आना ही है प्यार का
हम ने किया कब ?
होता भी कब है प्यार
सिवाय खुद के
किसी को किसी से !

हां !
कर ही लेते हैं
प्यार हम
पराई चीज से
कुर्सी से
धन-दौलत
पद-प्रतिष्ठा
झूठे स्वाभिमान से
यहां तक कि
कपड़े-जूतों तक से
कर बैठते हैं प्यार !

न करते हैं
न आता है
न होता है
तिल भर प्यार
अपने ही ज़मीर से
यह बिके तो
कब चूकते हैं
गरीब से गरीब
अमीर से अमीर !

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