सोमवार, मार्च 15, 2010

ओम पुरोहित 'कागद' की कविताएं एक प्रस्तुति

16 टिप्‍पणियां:

  1. http://rajasthanikavitakosh.blogspot.com/


    aap mara blog par bhi padarso sa
    shekhar kumawat

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  2. NamsKar........."KAGAD JI"
    .........Aaki Kavita Me Rogmrra Jeevan Ka
    Chittran... Aam Adami Ki 'TADPEN'...Ke Sath Ek Jamini Judave ......
    ... Vackai... Dilchasap ....
    .......Rajendra Parsad Suthar
    (JAIPUR)

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  3. apnee mitti kee mehak liye..dil ko andar tak jhakjhortee bahut hee sundar...jaise mere apne hee dil kee baat..aapkee kavitaon se, aapkee aawaz se, nikal rahee ho...

    aapne apni maati ka farz bahut hee bakhubee se nibhaayaa hai..aapka shukriya karne ke liye nih-shand hoon...bahut hee sundar bhaav...
    Aapkee prabhavshaali aawaqz paakar aapkee rachnayen aur adhik asarkaarak ho rahee hai..

    aapka bahut baht aabhar!!

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  4. Sundar Blog ke liye hardik badhaee.Apki shresht kavitaon ke liye meri Shubkamnayen. http://deendayalsharma.blogspot.com
    http://tabartoli.blogspot.com

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  5. बढ़िया कविता वाचन किया है आपने!!!आज अचानक आपके ब्लाग पर आने से पुरानी यादें ताज़ी हो गयी,जब सीमा सन्देश की लघु कथा प्रतियोगिता के सिलसिले में आपसे मिलना हुआ था!आपके ब्लाग के जरिये उधर के सब लोगों के बारे में भी जानकारिया मिली ,धन्यवाद!!

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  6. भोत सुणी कवितावां है. वाचन भोत जबरो है. कालीबंगां री सारी छटा अठै आप बिखेर दी है. घनी-घनी बधाई ब्लोगस्पोटिया बणण खातर. म्हारै ब्लॉग राजस्थानी रांधण पर भी निजर मारो कदी.

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  7. आदरजोग ओमजी !
    ब्लॉग सागेड़ो ठायो है. पण आपरी रचनावां ब्लॉग सूं भी ज्यादा फूटरी. साँची केवूं तो आणंद आयगो. घणी घणी बधाई. आपणी मायड भाषा राजस्थानी ने इन्टरनेट तो अंगीकार कर ली पण भारत री संसद ने कद अक़ल आवसी?

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  8. ਓਮ ਜੀ ,
    ਬੜੀ ਖੁਸੀ ਹੋਈ ਜਾਂ ਕੇ ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਚ ਵੀ ਲਿਖਦੇ ਹੋ .....ਮੇਰਾ ਵੀ ਪੰਜਾਬੀ ਦਾ ਬਲੋਗ ਹੈ .....ਪਰ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿਚ ਪਕੜ ਘਟ ਹੈ .....!!

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  10. वाह बहुत सुन्दर रचना ! बहुत बढ़िया लगा सुनकर! शानदार और जानदार आवाज़ में बेहतरीन प्रस्तुती! !

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  11. gani gani achi lagi sa mane

    aap ne gani gani badhai

    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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