कवि और आलोचक नीरज दइया की वेब पत्रिका "नेगचार" में मेरा एक संवाद प्रकाशित हुआ है, साथ ही इस में एक वीडियो मेरी "कालीबंगा" कविता का जारी हुआ है http://www.youtube.com/watch?v=Bz_N16JttCQ - वर्तमान राजस्थानी कविता में एक भरोसेमंद नाम है कवि श्री ओम पुरोहित ‘कागद’ । पिछले वर्ष श्री कागद के राजस्थानी में दो कविता संग्रह बोधि प्रकाशन, जयपुर से “पंचलड़ी” और “आंख भर चितराम” प्रकाशित हुए । इन दिनों आपकी “कालीबंगा” शीर्षक से लिखी कविताएं चर्चा में है । आपका ब्लॉग है- www.omkagad.blogspot.com इस पर कवि का पूरा परिचय और रचनाएं देखी जा सकती है । पिछ्ले दिनों किसी कार्य के सिलसिले में कागद जी सूरतगढ़ आए थे तब उनसे कुछ बातें हुई । उनकी बातों को प्रश्नोत्तरी रूप में यहां प्रस्तुत किया जा रहा है-
यह चित्र एक संयोग है और मेरा सबसे पहला सवाल यही है कि क्या आप आरंभ से ही गांधीवादी विचार-धारा के रहे हैं ? यानी जो भी बुरा है उस से दूर रहते हैं ?
मैं गांधीवादी तो नहीं हूं वैसे मैं कोई वादी भी नहीं हूं लेकिन सम्मान सब का करता हूं । बुरे और बुराई से तो सबको दूर रहना चाहिए ….. पूरा संवाद देखें- www.wpnegchar.blogspot.com “कालीबंगा” शीर्षक कविताएं पढ़ें- http://omkagad.blogspot.com/2010/03/blog-post_5920.html और एक कविता-पाठ इन कविताओं का नए रूप-रंग में देख सकते हैं-
मिनख लाजंमै री चोभ तांई पूगती अर उण री सील सूं लगोलग बधती 'काळीबंगा` सिरैनांव री आं कवितावां मांय ठाह नीं कितंणा बारंणा अछंट खुलै अर सईकां सूं भेळी-दब्योड़ी पूंन रौ रळकौ काळजै मांय उतरतौ जावै......घंणा घंणा रंग सा !
जवाब देंहटाएंपूर्ण ार्मा 'पूरण`