बुधवार, मार्च 30, 2011

हिन्दी कविता :नत्थू के पांच सवाल

** नत्थू के पांच सवाल **


.
[1]

न इश्क है
न बीमारी
न चिंता है
न खुमारी
फिर क्योँ उड़ गई
रातोँ की नीँद हमारी ?


सवाल तो
और भी हैँ
फिलहाल
इसी का चाहिए
हमेँ जवाब ;
पेट भरने के बाद भी
क्योँ चाहिए तुम्हेँ
दुनियां की दौलत सारी ?


[2]


हाड़ तोड़ मेहनत कर
घुटनोँ तलक पसीना बहा
पेट नहीँ भरता
मेरे नत्थू का
जब से उगी है मूंछ
मुठ्ठियां तानता है
अब खाता नहीँ
शपथ संविधान की !
क्योँ कहता है वह
एक संविधान से पहले
दो जून धान जरूरी है ?


[3]

क्या जवाब दूं
मेरे नत्थू को
जो बार-बार पूछता है
धाए-अघाए लोग

संसद मेँ
और
जन्म के भूखे
दड़बोँ मेँ
क्योँ रहते हैँ ?


[4]


जब जब भी
चूल्हे से ज्यादा
दिल जलता है
मुझ से पूछता है
मेरा नत्थू ;
जवाब दो
क्योँ पटक दी गई
हमारे ऊपर
जन्म से पहले
गरीबी की रेखा
क्योँ नहीँ उकेरी गई
अमीरी की रेखा ?


[5]


भूखे लोग
जब जब भी
संगठित हो
करते हैँ अनशन
उन पर
क्योँ बरसाई जाती हैँ
खुले हाथ लाठियां
क्योँ नहीँ बरसाई जाती
दो जून रोटियां ?


मेरे पास
कोई जवाब नहीँ
नत्थू के इन सवालोँ का
तुम ढूंढ़ लो
वह दड़बे से निकल गया है
मुठ्ठियां तान कर !










.

7 टिप्‍पणियां:

  1. ye to ghar ghar ki kahani hai sa.....sahi likha sa.....bahut hi marmik hai....

    जवाब देंहटाएं
  2. पेट भरने के बाद भी
    क्योँ चाहिए तुम्हेँ
    दुनियां की दौलत सारी ?


    waah gehra kataksh

    जवाब देंहटाएं
  3. Om ji,
    wajah bhale mukesh ho lekin aapke is link tak pahunch gai, bahut dhanyawaad aapka. bahut gambheer lekhan hai aapka. is rachna ko padhkar nihshabd ho gai. natthu ke sawal ka jawab kaun de? yun jawaab sabhi jaante natthu bhi, lekin sawaal ya jawaab kisase? natthu ab mutthi taan liya hai to sawal bhi karega aur jawaab bhi dega...behtareen prastuti keliye badhai sweekaaren.

    जवाब देंहटाएं
  4. पांचों कविताएं अत्यंत मार्मिक और अंतस को झकझोरने वाली हैं...
    आपको हार्दिक साधुवाद !

    जवाब देंहटाएं
  5. भूखे लोग
    जब जब भी
    संगठित हो
    करते हैँ अनशन
    उन पर
    क्योँ बरसाई जाती हैँ
    खुले हाथ लाठियां
    क्योँ नहीँ बरसाई जाती
    दो जून रोटियां ?

    ॐ जी कागद हो तो हर कोई बांचे निश्चित ही सब बांचने पर विवश करता है भूख , गरीबी, उनके प्रश्न ,आप की पञ्च रचनाएँ और सभी लेख बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं समाज की व्यथा कथा दर्पित हैं -हम भी अपना भ्रमर का दर्द और दर्पण ले आप के साथ चल पड़े हैं आप सब के समर्थन की आशा में -बधाई हो

    सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर ५

    जवाब देंहटाएं
  6. vah dadbe se nikal gaya hai mutthiyan taanka...
    ab natthuon k savalon ka jawaab kon deta hai
    natthu ke hadtod kaam ka hisaab kon deta hai
    sab thik ho jaaega jab Natthuon ki jamaat mutthi baandh..laathi utha..sadko pe aajaaygi..
    tumhaare kheto me beej nahi jam paaega
    ghr,aangan,raste aur naliya gandagi se pat jaaegi
    bolo..tab to doge hisaab aur jawaab..bolo kyun khaamosh ho...

    जवाब देंहटाएं