रविवार, जनवरी 29, 2012

एक हिन्दी कविता

[0] आओ सुन लें याद[0]


आओ


उन्हें जरूर याद करें


जो हमें भूल गए हैं ।






उनकी हंसी को याद कर


हंसें मन भर


उनका उठना-बैठना


याद कर दोहरा लें


दिन भर ।






उनके सच में से


घटा कर झूठ


पकड़ लें कबूतर


उनके भीतर से


फिर उडाएं


दिन भर ।






उनके वादों को भी


अब याद कर ही लें


सुनाई देगी चटख


आओ सुन हीं लें


टूटन का संगीत


बन ठन कर ।






उनका चेहरा


याद क्या करें


जाता ही नहीं दूर


आओ डालें


समय की चादर


कबीर हाथों


बुन कर ।






यादों का वादा


रखें आओ सम्भाल कर


डाल देंगे


ये लबादा


अपने तन उतार कर


उनके तन पर ।

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