रविवार, जनवरी 29, 2012

एक हिन्दी कविता

[>0<] दोस्त [>0<]





बनाए नहीं जाते


खुद दोस्त
दोस्त तो


खुदा भेजता है


हर शख्स को मगर


जुदा भेजता है !






कूष्ण को सुदामा


राम को हनुमान


सकल जगत को


रहीम-रहमान


महावीर-ईसा


बुद्धा भेजता है ।






दोस्ती तोड़ना


खुदा की ही


नाफरमानी है


अभी समझ लो


दोस्तों के दोस्तो


ये इरादे शैतानी हैं ।

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