रविवार, जनवरी 29, 2012

पांच हिन्दी दोहे

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[<*>] सरदी के दोहे [<*>]


हाड़ काम्पते देह में,ठंड ठोकती ताल ।


भीतर बैठी शान से,नहीं बचेगी खाल ।1।


धुंध फड़कती छा गई, हवा बिगाड़े तान ।


होंठों पपड़ी आ गई,ठंडे होते कान ।2।


कपड़े लादे देह पर , हाथ में चुस्की चाय ।


भाप निकलती कंठ से,काया ठरती जाय ।3।


मीठी मीठी रेवड़ी, पापड़ी लिज्जतदार ।


गरम खाओ पकोड़ियां, सरदी सदाबहार ।4।


औढ़ रज़ाई दुबक लो, ढक लो सारे अंग ।


मात खाएगी ठंड तो ,तूम जीतोगे जंग ।5।






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