रविवार, अप्रैल 01, 2012

बात ही बात में

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[<>] बात ही बात में [<>]

मुखर हुए कुछ शब्द
बात बनी
बनी बात चल पड़ी
चलती बात में से
निकली बात ;
नहीं करता कोई
आज कल कोई बात !

बात ही बात में
बढ़ गई बात
बात आई ;
अब थमे कैसे
बढ़ती बात !

थामते-थामते
बिगड़ गई बात
लोगों ने कहा
दाम लगते हैं
आज कल बात के
बात के बदले
देनी पड़ती है बात
कुछ लोगों ने कहा
गिरनी नहीं चाहिए
हमारी बात
कुछ बोले
चाहे कुछ भी हो
रहनी ही चाहिए
हमारी बात
बस यूं बात बात में
रह गई बात ।

कुछ लोग निकले
बिगड़ी बात संवारने
नहीं संवरी बात
अब चाहे आप कुछ भी कहें
हार कर या जीत कर
अब वे लौट आए हैं
खुद संवर कर
बात ही बात में
दे रहे हैं आमंत्रण
थमना नहीं चाहिए
सिलसिला बात का
खुले हैं हमारे दरवाजे
सदैव खुली बात के लिए
आइए और लाइए
थमाइए बात का सिरा !

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