रविवार, अप्रैल 01, 2012

आती नहीं हंसी

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[++] आती नहीं हंसी [++]


हंसी तो आती है
मगर वक्त नहीं अभी
खुल कर हंसने का
जब नत्थू रो रहा
अपनी बेटी के हाथ
पीले न कर पाने के गम में
धन्नू की भाग-दौड़
थम नहीं रही
खाली अंटी
पुत्र का कैंसर टालने मैं ।

वोट भी डालना है
अभी अभी
डालें किसे
सभी लिए बैठे हैं
वादों की इकसार पांडें
भाषणों की अखूट बौछारें
इरादे जिनके साफ
वोट डालो तो डालो
न डालो तो मत डालो
छोड़ें तो छोड़ें
मारें तो मारें
हम ही बनाएंगे सरकारें
ऐसे में हंसी आए भी तो कैसे !

फिर भी
हंस ही दिया था
गरीबी की रेखा के नीचे
बरसों से दबा
रामले का गोपा
नेता जी के सामने
भारत निर्माण का
विज्ञापन देख कर
तीसरे ही दिन
पोस्टमार्टम के बाद
मिल गई थी लाश
बिना किसी न्यूज के
उठ गई थी अर्थी
उस दिन जो थमी
आज तलक नहीं लौटी
हंसी गांव की !

अब तो
बन्द कमरे में
हंसते हुए भी
लगता है डर
सुना है
दीवारों के भी
होते हैं कान
लोग ध्यान नहीं
कान देते है
इस में भी तो
बात है हंसी की
मगर
दुबक कर कभी भी
आती तो नहीं हंसी !

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