'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
रविवार, अप्रैल 01, 2012
उलट पुलट कविता
*उलट पुलट कविता*
डोर के पीछे पतंग भागा ।
बिल्ली के पीछे चूहा भागा।।
कार बैठी जा बस के भीतर।
आम बैठा गुठली के भीतर।।
कूआ मिला पानी के भीतर ।
राजा मिला रानी के भीतर।।
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