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महासमागम
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दबा बीज
उगा बिरवा
पौधा बिगसा
हुआ पल्लवित
पसारी डालियां
डाली पर
खिला पुष्प
महका
भंवरा बहका !
महक चुराने
भटका डाली-डाली
स्वागत में पुष्प
लहराए-मुस्काए
मधुरस दिया परोस
भंवरे मचले
खो गए अपने होस !
प्रकृति प्रफुल्लित
सजी-संवरी
दिन-दिन पसरी
बांटती आभार
भंवरों संग पुष्पों का
इस महासमागम से
पूर्ण हुई मैं आज !
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