धरती के कौन हैं पेड़
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पुष्प का सुख
टहनी को कम
फिजाओं को जादा
मिलता है
अज्ञात देव-दानव
ज्ञात प्राणी
सब भोगते हैं
सुख पुष्प का !
पुष्प का जन्मदात
पोषक निरीह पेड़
झेलता है वियोग
उम्र भर
इस दंश का
अपने वंश का !
कल फिर खिलेगा
महकदार सुर्ख पुष्प
इसी आस में
तना रहता
अपने तने पर
अपनी जड़ों पर ।
पेड़ जानता है
कल देखना है
यदि अनुकूल-सुखद
तो जरूरी है
जड़ों के साथ
तने पर तने रहना
वह यह भी जानता है
धरती ही रचती है
सकल सुख मुझ में !
इसी लिए
झड़ते पुष्प-पत्ते देख
मौन है पेड़
फिजाएं नहीं जानती
इस धरती के
कौन हैं पेड़ !
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