बुधवार, मई 30, 2012

बोल बता

बोल बता
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हम सब यकसां
यकसां आए धरा पर
धरती ओ आकाश
अन्न-जल-हवा सांझी
सांसें अपनी-अपनी
लेते जेसे तैसे !

आंख मींच कर
रोटी छीनी
पानी झपट सारा
सांस हमारी
गिरवी तेरे
तेरे जुल्मों के आगे
क्यों नहीं वश हमारा ?

आज धरा पर
तू ही डोले
आंख मूंद कर
लेता नभ में झोले
बोल बता
कहां है हिस्सा मेरा
बिना खटै ही
हो गया कैसे तेरा ?

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