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मुझे याद आया
बचपन में मैंने
अठन्नी बो कर
खूब सींचा था
गमले की मिट्टी को
दस दिन तक
नहीं उगा कोई बिरवा
तब पटक कर
फोड़ दिया था गमला
टूटने की आवाज सुन
दादाजी ने आ कर पूछा
क्यों फोड़ दिया गमला ?
मेरे जवाब पर
खूब हंसे थे दादाजी
मैंने कहा था
गमला गंदा है
गमले की मिट्टी गंदी है
इस में बोया
पैसों का बीज नहीं उगा
पैसों का पेड़ लगता तो
घर में तंगी नहीं रहती !
दादा जी बोले
कोई भी मिट्टी
गंदी नहीं होती
बीज ही उपयुक्त नहीं होता
पैसों का पेड़
गमले की मिट्टी में नहीं
मेहनत की मिट्टी में ऊगता है
वह पेड़ दिखता नहीं
बस पैसे देता है
आज गांठ बांध लो बेटा
पैसे कभी पेड़ पर नहीं लगते !
पच्चास साल पहले
दादाजी की बात
आज फिर किसी को
खुल कर समझ आई है
पैसे पेड़ पर नहीं लगते
बधाई है !
फोड़ दिया था गमला
टूटने की आवाज सुन
दादाजी ने आ कर पूछा
क्यों फोड़ दिया गमला ?
मेरे जवाब पर
खूब हंसे थे दादाजी
मैंने कहा था
गमला गंदा है
गमले की मिट्टी गंदी है
इस में बोया
पैसों का बीज नहीं उगा
पैसों का पेड़ लगता तो
घर में तंगी नहीं रहती !
दादा जी बोले
कोई भी मिट्टी
गंदी नहीं होती
बीज ही उपयुक्त नहीं होता
पैसों का पेड़
गमले की मिट्टी में नहीं
मेहनत की मिट्टी में ऊगता है
वह पेड़ दिखता नहीं
बस पैसे देता है
आज गांठ बांध लो बेटा
पैसे कभी पेड़ पर नहीं लगते !
पच्चास साल पहले
दादाजी की बात
आज फिर किसी को
खुल कर समझ आई है
पैसे पेड़ पर नहीं लगते
बधाई है !
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