चिता की आग तो
तीन दिन में
हो जाती है शांत
और
आग इश्क की
सारी उम्र जलाती है ।
चिता की आग
मिटाती है
देह का अस्तित्व
उजडा़ देश नहीं बसे,यह समझे आवाम ॥
तीन दिन में
हो जाती है शांत
और
आग इश्क की
सारी उम्र जलाती है ।
चिता की आग
मिटाती है
देह का अस्तित्व
मगर
इश्क की आग
ताउम्र सुलगाती है
आशिक की देह !
इश्क की आग
ताउम्र सुलगाती है
आशिक की देह !
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सब से पहले देश है, उसके पीछॆ राम ।उजडा़ देश नहीं बसे,यह समझे आवाम ॥
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