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कदम हम चार चले
सामने तुम्हारे
तुम भी चले
कदम चार
मगर
अपने ही पीछे !
यूं न कभी
अंत हुआ सफर का
कदम हम चार चले
सामने तुम्हारे
तुम भी चले
कदम चार
मगर
अपने ही पीछे !
यूं न कभी
अंत हुआ सफर का
न फासले ही कम हुए !
आहटोँ पर
कान लगाए
चलते रहे
चलते रहे
न बतियाए
किसी पल
सफर के बीच
पड़ाव तलक
न आया जो कभी !
बस
परस्पर मुस्कुराहटेँ
ढोती रहीँ
अनाम सम्बन्धोँ को
हमारे बीच
अनवरत !
आहटोँ पर
कान लगाए
चलते रहे
चलते रहे
न बतियाए
किसी पल
सफर के बीच
पड़ाव तलक
न आया जो कभी !
बस
परस्पर मुस्कुराहटेँ
ढोती रहीँ
अनाम सम्बन्धोँ को
हमारे बीच
अनवरत !
विजयादशमी की शुभकामनाएं |
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