'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
रविवार, जून 02, 2013
विश्वास
चेहरे पर सब के
एक से हैं
आंख,नाक और कान
दिल और मन हैं
कत्तई अलग-अलग
इसी लिए घटता है
जग में सब
कुछ अलग-अलग
जैसे कि मुझे
तुम से है प्यार
तुम्हें है इंकार
तुम्हें बातों में है
अपार विश्वास
मुझे है केवल
तुम पर विश्वास !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें