गुरुवार, जून 06, 2013

याद

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ना  आऊंगा  वो  इतना  कह गया ।
इस पर इधर इक समंदर बह गया ।।
यादों  का  नीर उड़  गया  भाप बन । 
दिल में बस कसक का नमक रह गया ।

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भाग    भाग कर  जिंदगी , थक गई  बेशुमार ।
मंजिल इसको ना मिली, मिली समय की मार ।।
घर  तो  मेरा  है  नहीं , सब  कहें बारम्बार । 
यायावर  मैं  जगत में , जाना  जग से पार ।।

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