शुक्रवार, जून 21, 2013

*मौसम बदल गया*

आज अचानक 
घर की मुंडेर से
आंगन में झांका सूरज ने
अलसाई भोर सिहर गई
ले कर अंगड़ाई 
उठ चल पड़ा 
नीरस दिन 
छत मेँ सहतीर के 
कोटर में दुबकी चिड़िया
पंख फड़फड़ा उड़ गई
मुक्त गगन में
कांपती रूह थम गई
मां के हाथों
मीठी गुड़ वाली
चाय थाम कर
तब जाना
मौसम बदल गया ।

मौसम का बदलना
जीवन का बदलना ही तो है
तभी तो
बदल जाती हैं
इच्छाएं-आशाएं
आकांक्षाएं-आवश्यकताएं
रोजमर्रा की ।

सर्द रात मेँ
गर्म आगोश
कहां रहती है
केवल बच्चों की चाहत
प्रोढ़ तन मन
लौटना चाहता है
अपने अतीत मेँ
मिलती नही
गर्म गोद मां की
मां की याद
बदलते मौसम की
दे ही जाती है संकेत !

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