व्यर्थ में अनर्थ
बातों ही बातों मेंअर्थ ढूंढ़ते-ढूंढ़तेजो व्यर्थ हीढूंढ़ लाए अनर्थआज के समयखुद को वही
समझता है समर्थ !
ऐसा समर्थ
स्वयंभु समझदार
भूल कर अपने
विनाशकारी भेद
ढूंढ़ता रहता है
दूसरों के कपड़ों में
छुपे हुए छेद !
इतिहास गवाह है
समर्थ ही करते हैं
व्यर्थ में अनर्थ
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