बहुत दिन हुए
तुम छोड़ गए
चलो आज तुम्हें
आया हुआ मान कर
हमारी स्मृतियों से
तुम्हारा स्वागत करुं !
तुम पास नहीं हो
फिर भी
तुम्हारे पास होने का
ऐहसास कर लूं
तुम हाथ न आओ
तो भी
तुम्हें बांहों में भर लूं !
तुम कुछ मत देखो
फिर भी मैं तुम्हें
देखता हुआ देखूं
तुम बोलो नहीं
फिर भी मैं तुम्हें
बोलता हुआ सुनूं !
तुम चाहे मौन रहो
मगर एक बार फिर
उसी तरह पुकार लो
जैसे पुकारा था
भीगने से बचने के लिए
माघ की बरसात में !
तुम छोड़ गए
चलो आज तुम्हें
आया हुआ मान कर
हमारी स्मृतियों से
तुम्हारा स्वागत करुं !
तुम पास नहीं हो
फिर भी
तुम्हारे पास होने का
ऐहसास कर लूं
तुम हाथ न आओ
तो भी
तुम्हें बांहों में भर लूं !
तुम कुछ मत देखो
फिर भी मैं तुम्हें
देखता हुआ देखूं
तुम बोलो नहीं
फिर भी मैं तुम्हें
बोलता हुआ सुनूं !
तुम चाहे मौन रहो
मगर एक बार फिर
उसी तरह पुकार लो
जैसे पुकारा था
भीगने से बचने के लिए
माघ की बरसात में !
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