धर्मपत्नी है मेरी
यह सुन कर
वह पा जाती है
असीम सुख
यह शब्द
देते हैं जैसे उसे ऊर्जा
दिन भर
यंत्रवत चलने के लिए ।
मुझे केन्द्र में रख
करती रहती है
दिन भर
घर के सारे काम
असंख्य चिंताओं के बीच
उसे बड़ी लगती हैं
मेरी चिंताएं
अपनी बीमारी से
बहुत बड़ी लगती है
मेरी बीमारी ।
चिंताएं औढ़ कर
देर रात तक
जाग कर सोती है
देखती है रात भर
मेरे ही सपने
भोर में जागती है तो
मेरे लिए ही जागती है
इसी उपक्रम में
वह ढूंढ़ती रहती है
अपने लिए सुख
जो उसे मिलता नहीं
मेरे सुख से पहले ।
यह सुन कर
वह पा जाती है
असीम सुख
यह शब्द
देते हैं जैसे उसे ऊर्जा
दिन भर
यंत्रवत चलने के लिए ।
मुझे केन्द्र में रख
करती रहती है
दिन भर
घर के सारे काम
असंख्य चिंताओं के बीच
उसे बड़ी लगती हैं
मेरी चिंताएं
अपनी बीमारी से
बहुत बड़ी लगती है
मेरी बीमारी ।
चिंताएं औढ़ कर
देर रात तक
जाग कर सोती है
देखती है रात भर
मेरे ही सपने
भोर में जागती है तो
मेरे लिए ही जागती है
इसी उपक्रम में
वह ढूंढ़ती रहती है
अपने लिए सुख
जो उसे मिलता नहीं
मेरे सुख से पहले ।
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