शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

*वर्तमान ही है भोग्य*

हमारा वर्तमान ही
प्रत्यक्ष एवम भोग्य है
समस्त सुख भी 
वर्तमान ही देता है
अतीत एव भविष्य
परोक्ष या अपरोक्ष
दुख-संताप ही देते हैं !

वर्तमान से परास्त ही
अतीत एवम भविष्य में
शुभ के लिए झांकता है
अतीत देता है
सदियों का वैमनस्य
ईर्ष्या-राग-द्वेश
प्रतिशोध के विचार
जिन की आंच में
वर्तमान और प्राप्त भी
हो जाता है भस्म !

वहीं भविष्य देता है
वांछित एवम विजय की
कोरी कल्पनाएं
जिनके लिए भटकते
खो देते हैं हम
अपना वर्तमान !

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