'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014
* विश्वास *
कांच से भी
कमजोर होती है
उम्मीद
तभी तो
टूटने में तनिक भी
देर नहीं लगती !
बीज गणित की
समीकरण से भी
कठिन होता है
इंतजार
जिसे करना
बूते की बात नहीं
हर किसी के ।
पहाड़ से भी
भारी होता है
विश्वास
वह जहां होता है
वहीं होता है !
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