'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014
अपनी हदों में
उनके इरादों की
आज तलक
कभी भी
हद नहीं हुई
यक-ब-यक
हद पार हो गई
हम बंधे थे
अपनी ही हदों में
हमारी तो भाई
लाचारी भी
लाचार हो गई !
वे आज
हम से जुदा हैं
अपनी ही हदों में
हम हैं लाचार
वे हमारे खुदा हैं !
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