'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014
*सपना*
सामने था
दृश्यमान जगत
आंखों ने देखा
मन मचला
बुद्धि भरमाई
सोच की कोख में
सपना पल गया !
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