'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014
आओ बादल
आ गया है सूरज
कांधों पर टांग
अपना तरकश
चलाएगा दिन भर
ताप में ताए तीर
बेसुध पडी
तुम्हारी वियोगिन
अचल मरुधरा पर
आओ बादल
अब तुम भी आओ
बन कर ढाल
मरुधरा पर छा जाओ !
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