'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
रविवार, अप्रैल 13, 2014
सौन्दर्य
सृष्टि में सौन्दर्य
स्थाई भाव नहीं
उपस्थिति है
कुछ समय के लिए
जैसे लता के शीर्ष पर
चटख लाल पुष्प
जो नहीं था कल
आज है
कल रहेगा या नहीं
कौन बताए
जबकि मौन है कायनात!
देह हमारी
धारती है सौन्दर्य
देह की मौत
मौत है सौन्दर्य की ?
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