'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, अप्रैल 24, 2014
दर्द सने शब्द
हर बार
हंस कर बोलूं ;
कौशिस करता हूं
दर्द सने शब्द
उदासियां ओढ़
आते हैं बाहर
ढोते नहीं हंसी
फिर भी
हंसना चाहता हूं
इस लिए
ढूंढ़ रहा हूं
उन्हें अपने भीतर
तब तक तुम
मायूस मत होना
हंस लेना मुझ पर
तुम्हारी हंसी
बहुत मायने रखती है
मेरे लिए !
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