रविवार, अप्रैल 13, 2014

*हारे भी क्यों पानी*

पानी में हलचल है
भीतर-बाहर जरूर
कोई हरकत है
किसी ने फैंका होगा
पानी में पत्थर
या फिर
पानी के नीचे से
खिसकी है जमीन ।

पानी तो
हो जाएगा स्थिर
देखना एक दिन
उस के विरुद्ध
जारी रहेंगे षड़यंत्र ।

पानी को
नहीं जीतना है
कोई युद्ध
मगर हारे भी क्यों
किसी का पानी !

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